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Internet Protocol क्या होता है हिंदी में जानकारी

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Internet Protocol Kya Hai in Hindi

आप हमेशा सड़क पर बाएं तरफ से ही चलते है और दाएं तरफ वाली सड़क का उपयोग वापस आने के लिए करते हैं. यदि बीच में लाल बत्ती हो जाए तो आप रुक जाते है.

ये सभी यातायात के नियम है और हम सभी रोजाना इनका पालन करते हैं. यानी सड़क पर ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए इन्हे बनाया जाता है ताकि सुरक्षित और अबाध परिवहन होता रहे.

इसी प्रकार इंटरनेट भी सूचना का सुपर हाइवे है. जिसपर लाखों करोडों Datagram यात्रा करते रहते हैं. जिन्हे नियंत्रण करने के लिए एक जटिल और ज्यादा तेज कंट्रोल नियमों की जरूरत पड़ती है.

इन नियमों को प्रोटोकॉल कहा जाता हैं. चुंकि ये इंटरनेट पर डेटा कंट्रोल करते हैं इसलिए इनका नाम इंटरनेट प्रोटोकॉल है.

इस लेख में हम इंटरनेट प्रोटोकॉल की पूरी जानकारी दे रहे है. अध्ययन की सुविधा के लिए हमने इस लेख को निम्न भागों में विभाजित किया हैं.


इंटरनेट प्रोटोकॉल क्या हैं – What is Internet Protocol in Hindi?

इंटरनेट तथा अन्य नेटवर्क पर एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर में डेटा का आदान-प्रदान करने हेतु “नियमों का समूह” इंटरनेट प्रोटोकॉल कहलाता हैं. इन नियमों (प्रोटोकॉल्स) को Institute of Electrical and Electronics Engineers (IEEE) द्वारा प्रकाशित किया गया था और RFC 791 में उल्लेखित हैं.

Internet Protocol Kya Hai in Hindi
इंटरनेट प्रोटोकॉल

ये नियम ही डेटा का संचरण निर्धारित और शासित करने का काम करते है. इंटरनेट प्रोटोकॉल सिस्टम भारतीय डाक सेवा (Indian Postal Service) के समान ही कार्य करता है.

जब एक कम्प्यूटर(Source) से दूसरे कम्प्यूटर (Destination) में कोई डेटा भेजा जाता है तो इसे छोटे-छोटे टुकडों में बांटकर भेजा जाता है इन डुकडो को IP Packets अथवा Datagram कहा जाता है.

प्रत्येक डेटाग्राम में प्रेषक और प्राप्तकर्ता की जानकारी होती इसे IP Information कहते हैं. इंटरनेट पर प्रत्येक डेटाग्राम स्वतंत्र यात्रा करते है और मार्ग भी निर्धारित नही रहता हैं.

इंटरनेट प्रोटोकॉल केवल डिलिवर करने का काम करता है. इसका प्रेषक कम्प्यूटर (Host) और प्राप्तकर्ता (Source) कम्प्यूटर से प्रत्यक्ष जुडाव (Direct Connection) नही रहता.

डेटाग्राम का क्रम निर्धारण एक अन्य प्रोटोकॉल Transmission Control Protocol – TCP द्वारा किया जाता है. इन दोनों को सामुहिक रूप में TCP/IP कहा जाता है. TCP के अलावा UDP – User Datagram Protocol का भी उपयोग होता है.

इंटरनेट प्रोटोकॉल Internet Protocol Suite में उपलब्ध चार Communication Protocols Layers (Link Layer, Internet layer, Transport Layer, Application Layer) में से इंटरनेट लेयर का प्राथमिक प्रोटोकॉल है.

एक IP Packet का Format कैसा होता है?

एक IP Packet डेटा का टुकड़ा होता है जिसमें IP Information होती है. इसी सूचना के आधार पर यह Routing और Delivery कर पाता है. एक डेटाग्राम अथवा आईपी पैकेट के Header में कुल 14 प्रकार की जानकारी होती हैं. जिसका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:

  1. IP Version
  2. IP Header Length
  3. Service
  4. Total Length
  5. Identification
  6. Flags
  7. Fragment Offset
  8. Time to Live
  9. Protocol
  10. Header Checksum
  11. Source Ip Address
  12. Destination IP Address
  13. Options
  14. Data

IPv4 तथा IPv6

इंटरनेट से लाखो करोडों कम्प्युटर (नोड्स) जुडे रहते है और असीमित डेटा का आदान-प्रदान हर रोज होता रहता है. सही डेटा को सुरक्षित सही प्राप्तकर्ता (Destination) तक पहुँचाने के लिए सही और सार्वभौमिक पहचान की आवश्यकता पड़ती है. इस पहचान को ही IP Address कहा जाता है जो प्रत्येक कनेक्टेड कम्प्युटर का विशिष्ट पता कहलाता है. IP Address का बंटवारा IPv4 या फिर IPv6 के मानकों के आधार पर किया जाता है.

अब आप यहीं सोच रहे होंगे कि आखिर ये IPv4 और IPv6 क्या होता है?

IPv4 क्या है – What is IPv4 in Hindi?

IPv4 Internet Protocol
IPv4 Internet Protocol

IPv4 सबसे ज्यादा उपयोग वाला इंटरनेट प्रोटोकॉल है जिसे 1970 में विकसित किया गया था. यह इंटरनेट प्रोटोकॉल का चौथा संस्करण है. यह 32-bit Format में आईपी एड्रेस का बंटवारा करता है. जो कुछ 123.123.123.123 इस प्रकार दिखाई देता है. प्रत्येक तीन संख्या समूह में 0-255 के बीच से संख्या दी जा सकती है.

इसका मतलब है IPv4 में कुल 4,29,49,67,296 (256x256x256x256) IP Addresses बनाए जा सकते हैं. जो हम इंसानों की संख्या के लगभग आधे के बराबर है.

IPv4 में उपलब्ध कुल IP Address (4.30 Billion IP Addresses) की संख्या भविष्य के लिए पर्याप्त नहीं है. क्योंकि छोटे डिवाइसों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है और एक इंसान औसत दो से अधिक डिवाइसों का उपयोग कर रहा है.

इसलिए इतने सारे डिवाइसों को IP Address Assign करने की क्षमता इंटरनेट प्रोटोकॉल के चौथे संस्करण में नहीं है. इसका विकल्प IPv6 है.

IPv6 क्या है – What is IPv6 in Hindi?

IPv6 यानि Internet Protocol Version 6 को Ipv4 के अपग्रेड वर्जन के रूप में The Internet Engineering Task Force (IETF) द्वारा 1998 में विकसित किया गया. क्योंकि 90 के दशक से इंटरनेट का वाणिज्यीकरण होने से इंटरनेट और इंटरनेट डिवाईसों की संख्या में विस्फोटक वृद्धि हुई.

जिसके कारण IPv4 द्वारा सभी डिवाइसों को IP Address आवंटन करना क्षमता से बाहर कार्य साबित हो गया. इसलिए एक व्यापक सिस्टम कि जरूरत महसूस हुई जिसका परिणाम Ipv6 है.

IPv6 128-bit Format में IP Addresses का आवंटन करता है. इसका मतलब है इसके द्वारा सैद्धातिंक रूप में 2128IP Addresses बनाए जा सकते हैं. जो लगभग 3.4×1038 के बराबर संख्या है. यह संख्या IPv4 के 4.30 बिलियन आईपी एड्रेसेस से कई गुना अधिक है.

IPv6 में आईपी एड्रेसेस को 8 ग्रुप में बनाया जाता हैं जिन्हे Hexadecimal विधि में चार के ग्रुप में Represent कर सकते हैं. प्रत्येक ग्रुप को कॉलन (:) द्वारा अलग रखा जाता है. इसके द्वारा ज्यादा जटिल और बड़े आईपी एड्रेसेस का निर्माण मुमकिन है. इसलिए इसे IPng (Internet Protocol Next Generation) यानी भविष्य का आईपी माना जाता है.

IPv6 Internet Protocol
IPv6 Internet Protocol

IPv6 के फायदें – Advantages of IPv6

IP Address की ज्यादा संख्या इसका सबसे बड़ा फायदा है. जो इसे इसके पिछले संस्करण IPv4 से अलग करता है. ज्यादा संख्या के अलावा भी इसके कुछ और फायदें है.

  • NAT (Network Address Translation) नहीं
  • Auto-Configuration
  • No Collisions with Private Addresses
  • Simple Header Format
  • Better Multicasting Routing
  • More efficient Routing
  • QoS – True Quality of Service
  • Build-in Authentication and Privacy Support
  • More Flexible
  • Flexible Extensions
  • No Need of DHCP

प्रोटोकॉल के विभिन्न प्रकार – Types of Protocols in Hindi?

इंटरनेट के माध्यम से कई प्रकार का डेटा संचारित होता है. इसलिए भिन्न डेटा प्रकार के लिर भिन्न-भिन्न इंटरनेट प्रोटोकॉल्स विकसित किये गये है. जिनके द्वारा केवल विशेष प्रकार का डेटा ही संचारित किया जाता है. नीचे इंटरनेट प्रोटोकॉल के विभिन्न प्रकारों के बारे में बताया जा रहा है.

  • TCP – Transmission Control Protocol
  • FTP – File Transfer Protocol
  • HTTP – Hyper Text Transfer Protocol
  • IMAP – Instant Message Access Protocol
  • SMTP – Simple Mail transfer Protocol
  • POP – Post Office Protocol
  • SLIP – Serial Line Internet Protocol
  • PPP – Point to Point Protocol
  • SNMP – Simple Network Management Protocol
  • UDP – User Datagram Protocol
  • MIME – Multipurpose Internet Mail Extension
  • UUCP – Unix to Unix Copy Protocol
  • Gopher
  • Ethernet
  • Usenet
  • Telnet

TCP – Transmission Control Protocol

इसका उपयोग डेटाग्राम्स को सही क्रम निर्धारण करने के लिए किया जाता है. चुंकि डेटाग्राम अलग-अलग आकार, रास्ता, समय तय करके डेस्टिनेशन तक पहुँचते है तो उन्हे प्राप्तकर्ता कम्प्यूटर में डिलिवर करने से पहले एक क्रम में जोड़ने का काम TCP करता है.

यह अपना कार्य IP के साथ मिलकर करता है, जो प्रत्येक कम्प्युटर के लिए एक विशिष्ट नाम (IP Address) निर्धारित करता है. इसलिए इसे TCP/IP भी कहते है. TCP की फुल फॉर्म Transmission Control Protocol होती है.

FTP – File Transfer Protocol

इस प्रोटोकॉल का उपयोग एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम में फाइल ट्रासंफर करने के लिए किया जाता है. जिसके लिए एक खास सॉफ्टवेयर (जिसे क्लाईंट कहते है) का उपयोग होता है.

फाइल ट्रासंफर प्रोटोकॉल का उपयोग सबसे अधिक वेब सर्वरों पर वेबपेज अपलोड करने में होता है ताकि वेबसाइटों के जरिए इन्हे प्रकाशित किया जा सके. इसके द्वारा मल्टिमीडिया से लेकर साधारण टेक्स्ट फाइल आसानी से और तेजी गति से अपलोड-डाउनलोड की जा सकती है.

HTTP – Hyper Text Transfer Protocol

अपने ब्राउजर की एड्रेस बार पर जाए और देखिए इस लेख का एड्रेस किन शब्दों से शुरु हो रहा है? आप देखेंगे कि वहां https लिखा हुआ है और :// के सामने शेष URL लिख रहा है.

जी हां यहीं काम आता है http जिसके द्वारा वेब सर्वरों से डेटा आदान-प्रदान करने के नियम तय किये जाते है. इस प्रोटोकॉल के आधार पर वेब ब्राउजर पता लगाता है कि डेटा के साथ कैसे व्यवहार करना है?

अर्थात उसे डाउनलोड करने के लिए किन मानदण्डों का पालन करना होगा. आजकल http का सुरक्षित संस्करण https इस्तेमाल होता है जिसका पूरा नाम http Secure होता है. इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए What is URL in Hindi लेख पढिए.

IMAP – Internet Message Access Protocol

IMAP एक Standard Email Protocol है जो ईमेल्स को मेल सर्वर पर स्टोर करता है. मगर प्राप्तकर्ता को उसे पढने और संपादित करने की वहीं सुविधा मुहैया कराता है. जैसे मैसेज उसके डिवाइस में ही मौजूद हो.

यह प्रोटोकॉल रिमोट मेल सर्वर की तरह कार्य करता है. IMAP की फुल फॉर्म Internet Message Access Protocol होती है. इसे कुछ Instant Message Access Protocol भी कहते है जो गलत है. इसलिए इस बात का ध्यान अवश्य रखें.

SMTP – Simple Mail Transfer Protocol

SMTP एक लोकप्रिय ईमेल प्रोटोकॉल है जिसका उपयोग ईमेल भेजने के लिए किया जाता है. इस प्रोटोकॉल का उपयोग IMAP से भी ज्यादा होता है. इस प्रोटोकॉल के द्वारा एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर पर ईमेल भेजने के लिए नियमों का निर्धारण होता है. जिनके आधार पर ही ईमेल्स भेजे जाते है.

POP – Post Office Protocol

POP का उपयोग ईमेल प्राप्त करने के लिए किया जाता है. इस प्रोटोकॉल का POP3 यानी तीसरा संस्करण प्रचलन में है. जो ईमेल प्राप्त करने का एक मानक प्रोटोकॉल बन चुका है.

SLIP – Serial Line Internet Protocol

यह प्रोटोकॉल दो डिवाइसों के बीच संचार करने का प्रोटोकॉल है. इन डिवाइसों को आपस में एक दूसरे से कंफिगर किया जाता है. इसके बाद ही ये एक-दूसरे से कम्युनिकेट कर पाते है.

यह एक धीमा और कम सुरक्षित प्रोटोकॉल है जिसका उपयोग बहुत ही कम होता है. यह TCP/IP का ही एक रूप है. SLIP का पूरा नाम Serial Line Internet Protocol होता है.

PPP – Point to Point Protocol

 इस प्रोटोकॉल का उपयोग Point-to-Point Links पर बहुप्रोटोकॉल डेटा ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है. यानी आप इस प्रोटोकॉल के माध्यम से अलग-अलग प्रकार के प्रोटोकॉलों का डेटा ट्रांसफर कर सकते है.

यह भी प्रचलन से बाहर सा हो चुका है. मगर अभी भी कहीं-कहीं DSL (Digital Subscriber Line) और मॉडेम को जोडने के लिए इस्तेमाल होता है.

SNMP – Simple Network Management Protocol

SNMP की फुल फॉर्म Simple Network Management Protocol होती है. यह नेटवर्क्स लोकल एरिया नेटवर्क और वाईड ऐरिया नेटवर्क से कनेक्ट डिवाइसों का प्रबंध और मॉनिटर करने के लिए उपयोग होता है.

इसे लगभग नेटवर्क मे शामिल सभी हार्डवेयर उपकरणों, रूटर, स्वीच्स, वायरलेस एक्सेस पॉइट, गेटवे आदि द्वारा सपोर्ट किया जाता है और इसके अंतिम पॉइंट से कनेक्टेड प्रिंटर्स, स्कैनर् भी इसे समझते है.

SNMP नेटवर्क के चार प्रमुख भाग होते है:

  • SNMP Agent
  • SNMP Managed Devices and Resources
  • SNMP Manager
  • Management Information Base

UDP – User Datagram Protocol

UDP का इस्तेमाल भी TCP की तरह ही किया जाता है. इसके द्वारा Low-Latency तथा Loss-Tolerating कनेक्शन बनाए जाते है. यह इंटरनेट प्रोटोकॉल के ऊपर काम करते है. इसलिए इसे सामुहिक रूप में UDP/IP भी कहते है. UDP की फुल फॉर्म User Datagram Protocol होती है.

MIME – Multipurpose Internet Mail Extension

MIME मूलभूत ईमेल प्रोटोकॉल का विस्तार है जिसका उपयोग इंटरनेट के माध्यम से विभिन्न प्रकार की फाइल्स का आदान-प्रदान करने के लिए होता है.

ये फाइल्स ओडियो, विडियो, डॉक्युमेंट्स, ग्राफिक्स, एप्लिकेशन प्रोग्राम तथा साधारण ASCII Text Files होती है. MIME का उल्लेख RFC 1521-22 में विस्तार से किया गया है. MIME की फुल फॉर्म Multipurpose Internet Mail Extension होती है.

UUCP – UNIX to UNIX Copy Protocol

UUCP UNIX Programs का एक ऐसा सेट है जिसके द्वारा एक युनिक्स सिस्टम से दूसरे युनिक्स सिस्टम में फाइल्स प्रेषित की जाती है. साथ ही कमांड्स भी भेजी जाती है जो उस सिस्टम पर जाकर एक्जिक्यूट की जा सकती हैं. UUCP की फुल फॉर्म UNIX to UNIX Copy Protocol होती है.

Gopher

गोफर एक ऐसा प्रोग्राम होता है जो युजर को दुनियाभर की जानकरी Hierarchically रूप में प्रस्तुत करता है. युजर अपने हिसाब से कोई भी टॉपिक पसंद कर सकता है और हाईपरलिंक के माध्यम से उसे अपने कम्प्यूटर सिस्टम में एक्सेस कर सकता है.

इस प्रोगाम को University of Minnesota द्वारा विकसित किया गया था, जिसका नामकरण इस विश्वविद्यालय की खेल टीम के नाम “Golden Gopher” के आधार पर किया गया.

यह सिस्टम आज के WWW के समान ही था. मगर इसके विकास के साथ ही गोफर का प्रचलन बंद सा हो गया. गोफर ब्राउजर तथा फाइल टेक्स्ट पर आधारित होती थी. आज गोफर का सारा कंटेट वेब से प्राप्त किया जा सकता है.

Ethernet

इथरनेट वह परपंरागत तकनीक है जिसके द्वारा तारवाले (Wired) लोकल ऐरिया नेटवर्क पर डिवाइसों को जोडा जाता है. यह प्रोटोकॉल तय करता है कि नेटवर्क पर डिवाइस एक-दूसरे से किस प्रकार कम्युनिकेट करेंगे ताकि अन्य डिवाइस डेटा को पहचान सके, प्राप्त कर सके और प्रोसेस कर सके. यह केबल भौतिक होती है अथवा इनका अस्तित्व होता है जिनके भीतर डेटा ट्रांसफर होता है.

Usenet

Usenet, इसे न्युज भी कहते है, एक न्युज प्रोटोकॉल है जिसका उपयोग न्युज और ऑनलाइन फॉर्म्स पर किया जाता है. इसके लिए NNTP – Network News Transfer Protocol का इस्तेमाल होता है. जिसके जरिए वेबफॉर्म्स तथा कंपनिज फॉर्म को कंट्रोल किया जाता है.

यूजनेट कई भागों में विभाजित रहता है. प्रत्येक भाग अलग-अलग विषय पर चर्चा को कंट्रोल करने का काम करता है. जैसे; sci. विज्ञान से जुडे हुए विषयों पर चर्चाओं को देखता है.

Telnet

वर्चुअल कम्प्यूटरों को मैनेज करने के लिए इस्तेमाल होने वाला प्रोटोकॉल है टेलनेट. इसके द्वारा रिमोट कम्प्यूटर पर कार्य करने की सुविधा मुहैया कराई जाती है. ताकि एक युजर रिमोट सिस्टम पर लोकल सिस्टम की भांति कार्य कर सके.


आपने क्या सीखा?

इस लेख में हमने आपको इंटरनेट प्रोटोकॉल के बारे में पूरी जानकारी दी है. आपने जाना कि इंटरनेट प्रोटोकॉल क्या होता है. प्रोटोकॉल के विभिन्न प्रकार. साथ में IPv4 एवं IPv6 को भी समझा है. हमे उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा.

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Girraj Prasad

लेखक: TP Staff TP Staff, TutorialPandit की कम्प्यूटर और टेक्नोलॉजी पेशेवरों की टीम है, जिसका नेतृत्व जी पी गौतम द्वारा किया जाता है. TutorialPandit के माध्यम से भारत देश में हर साल लाखों लोग फ्री डिजिटल शिक्षा ग्रहण कर रहे है.

8 thoughts on “Internet Protocol क्या होता है हिंदी में जानकारी”

  1. Thanks it’s very helpful for me.it is very brief knowledge about protocols and you explained very well.once again thanks

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